नयी दिल्ली (भाषा)-संसद की सुरक्षा में 13 दिसंबर को सेंध लगाने के मामले में गिरफ्तार पांचों आरोपियों ने खुलासा किया है कि उन्होंने मीडिया का ज्यादा ध्यान खींचने के लिए अग्निरोधक तरल पदार्थ (जेल) लगाकर खुद को आग लगाने के विकल्प पर भी विचार किया था। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
हालांकि, उन्होंने बाद में इस विचार को छोड़ दिया और धुआं छोड़ने वाली ‘कैन’ के साथ लोकसभा कक्ष में कूदने की योजना पर फैसला किया।
मामले की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद प्रताप सिम्हा का बयान दर्ज करने की भी योजना है। सदन के भीतर सुरक्षा में सेंध लगाने वाले दो लोगों को सिम्हा के जरिए पास मिला था.
आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे और उन्होंने ‘कैन’ से पीली गैस फैलाते हुए नारेबाजी की जिसके बाद सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया था। लगभग उसी समय संसद भवन के बाहर दो अन्य आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम देवी ने ‘केन’ से रंगीन धुआं फैलाते हुए ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाए थे।
पांचवें आरोपी ललित झा ने परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर कथित तौर पर प्रसारित किए।
जांच से अवगत दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ (लोकसभा कक्ष में कूदने की) इस योजना को अंतिम रूप देने से पहले उन्होंने (आरोपियों ने) कुछ ऐसे तरीके तलाशे थे, जिनके जरिए वे प्रभावशाली तरीके से सरकार तक अपना संदेश पहुंचा सकें।’’
उन्होंने बताया, ‘‘आरोपियों ने सबसे पहले अपने शरीर पर अग्निरोधक ‘जेल’ लगाकर आत्मदाह करने पर विचार किया, जिससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन इस तरीके से उनपर मीडिया का ज्यादा ध्यान जाता। बाद में उन्होंने इस विचार को त्याग दिया। ऐसा उन्होंने क्यों किया, इसकी वजह अभी पता नहीं है।’’
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने संसद के अंदर पर्चे बांटने पर भी विचार किया, लेकिन आखिरकार संसद में धुआं फैलाने का विकल्प चुना।
शुक्रवार की देर रात, जांच अधिकारी आरोपियों को विभिन्न स्थानों पर ले गए जहां वे मिले थे और सेंध लगाने की साजिश रची थी। वर्ष 2001 के हमलों की बरसी पर हुई चूक की घटना पर और जानकारी के लिए इसका ‘नाट्य रूपांतरण’ करने को लेकर पुलिस संसद की अनुमति मांग सकती है।
सूत्रों ने बताया कि बच निकलने में कथित तौर पर झा की मदद करने वाले महेश कुमावत और कैलाश को जांचकर्ताओं ने क्लीन चिट नहीं दी है।
पुलिस झा को जल्द ही राजस्थान के नागौर ले जाएगी, जहां वह भागने के बाद बुधवार को ठहरा था। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उसे उस स्थान पर ले जाया जाएगा, जहां उसने अपना एवं अन्य आरोपियों के मोबाइल फोन नष्ट करने का दावा किया है। सभी पांचों आरोपियों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।