प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्ठा के बारे में बढ़ती चिंताओं के जवाब में, हमारी सरकार ने मुद्दों के समाधान के लिए तेजी से निर्णायक कार्रवाई की है। एनईईटी पीजी परीक्षा को स्थगित करने, छह शहरों में एनईईटी यूजी की पुनर्परीक्षा के दौरान पेपर लीक के आरोप तथा हाल ही में यूजीसी नेट के पेपर लीक होने जैसी घटनाओं ने इन महत्वपूर्ण परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता के बारे में देश भर के छात्रों के बीच गंभीर संदेह पैदा कर दिया है। भारत सरकार के सक्रिय कदमों में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के शीर्ष नेतृत्व को बदलना और विशेषज्ञ समितियों की स्थापना करना शामिल हैं, जो विश्वास बहाल करने और परीक्षा प्रक्रिया की निष्ठा सुनिश्चित करने के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हैं। ये कार्य केवल तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करने के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये कदम सभी छात्रों में विश्वास को फिर से बहाल करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के संदर्भ में दीर्घकालिक रणनीति का भी संकेत देते हैं।
परीक्षा का पारदर्शी, सुचारु और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय ने एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इस समिति का लक्ष्य दो महीने के भीतर कार्रवाई योग्य सिफारिशें देना है, जो परीक्षा प्रक्रियाओं में सुधार करेगी, डेटा सुरक्षा के तौर-तरीकों को बेहतर बनायेगी और भविष्य में उल्लंघनों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा के लिए एनटीए को प्रभावी रूप से पुनर्गठित करेगी। इसके अलावा, सीबीआई की भागीदारी एक गहन, निष्पक्ष जांच के प्रति कटिबद्धता को दर्शाती है, जो न केवल जिम्मेदार लोगों की पहचान करेगी, बल्कि उन प्रणालीगत कमजोरियों को भी उजागर करेगी, जिनकी वजह से इस तरह के उल्लंघन होते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने अनुचित प्रथाओं को रोकने और संभावित गलत काम करने वालों में भय पैदा करने के लिए सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम पेश किया है। इस अधिनियम में, परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता करने के दोषी पाए जाने वालों के लिए 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने और 10 साल तक की कैद सहित कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। ये कठोर उपाय, एक मजबूत निवारक संदेश देने और सार्वजनिक परीक्षाओं की पवित्रता को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
तत्काल कार्रवाई ठोस और आवश्यक है, जबकि परीक्षा प्रणाली में दीर्घकालिक सुरक्षा और निष्ठा सुनिश्चित करने के लिए आगे के कदम महत्वपूर्ण हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए, अत्याधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीकों और बहु-स्तरीय प्रमाणीकरण को लागू करने से अनधिकृत पहुंच से सुरक्षा मिल सकती है। परीक्षा-पेपर के निर्माण से लेकर मूल्यांकन तक निगरानी करने और इसे सुरक्षित करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, ताकि किसी भी छेड़छाड़ का तुरंत पता लगाना सुनिश्चित किया जा सके।
पारंपरिक, ऑफ़लाइन परीक्षाओं के लिए, हर चरण में कड़े सुरक्षा उपाय महत्वपूर्ण हैं। इनमें परीक्षा सामग्री के लिए छेड़छाड़-रोधी पैकेजिंग, सुरक्षित परिवहन और सभी रख-रखाव बिंदुओं पर कड़ी जांच शामिल हैं। लॉजिस्टिक्स के लिए वास्तविक-समय पर जीपीएस निगरानी तथा डिजिटल वॉटरमार्किंग का उपयोग करना भी पेपर-लीक के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है। एआई-संचालित निरीक्षण प्रणाली का उपयोग करके परीक्षाओं की निगरानी को बेहतर किया जा सकता है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना भी कम हो जायेगी। बायोमेट्रिक सत्यापन यह सुनिश्चित कर सकता है कि उम्मीदवार वही हैं, जो वे होने का दावा कर रहे हैं। इससे परीक्षा प्रक्रिया में सुरक्षा की एक और परत जुड़ जायेगी।
इसके अतिरिक्त, स्वतंत्र निकायों द्वारा लगातार व गहन ऑडिट आयोजित करने से परीक्षा प्रक्रिया के भीतर कमज़ोरियों की पहचान करने में मदद मिल सकती है। पारदर्शी और नियमित समीक्षा सुनिश्चित करती है कि सुरक्षा प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और किसी भी विसंगति का तुरंत समाधान किया जा सकता है। डिजिटल लॉक की भविष्य की विफलताओं को रोकने के लिए कठोर रखरखाव कार्यक्रम और बैकअप व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, ताकि परीक्षा पुस्तिका बॉक्स को हाथों (भौतिक रूप से) से खोलना न पड़े और प्रश्नपत्र वितरित करने में देरी न हो। रखरखाव की नियमित जांच से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परीक्षा से पहले डिजिटल लॉक पूरी तरह कार्यात्मक हैं। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों को पर्यवेक्षण के तहत हाथों से खोलने के सुरक्षित तौर-तरीकों से जुड़ी आपातकालीन प्रक्रियाओं में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। ये उपाय व्यवधानों को कम करने और परीक्षा की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने में मदद करेंगे।
निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के गुणों पर जोर देने वाली निष्ठा कार्यशालाएं तथा छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और नीति-निर्माताओं के साथ नियमित संवाद आदि, ऐसे सक्रिय उपाय हैं, जो परीक्षा के प्रति निष्ठा को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती हैं। इन चर्चाओं में हितधारकों को शामिल करने से एक सतर्क समुदाय का विकास होगा, जिससे उत्तर कुंजियों तक किसी भी अनधिकृत पहुंच से सुरक्षा मिलेगी। ये पहल न केवल तत्काल चिंताओं को दूर करती हैं, बल्कि परीक्षा प्रक्रिया के दीर्घकालिक सुधारों के लिए आधार भी तैयार करती हैं।
एनटीए के तहत विभिन्न परीक्षाओं के लिए सालाना 10 मिलियन से अधिक छात्र पंजीकरण कराते हैं। केवल 2023 में 12.3 मिलियन उम्मीदवारों के साथ, एनटीए विश्व स्तर पर परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं में अग्रणी है। यह विशाल भागीदारी भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को स्वरूप प्रदान करने में परीक्षाओं की प्रभावशाली भूमिका को रेखांकित करती है। इन संख्याओं और भारत की प्रसिद्ध शिक्षा प्रणाली के मद्देनजर, सरकार के सक्रिय उपाय सराहनीय और दूरगामी हैं, जिनका उद्देश्य दीर्घकालिक निष्ठा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना है। ये कार्य न केवल तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करेंगे, बल्कि लाखों छात्रों के सपनों और आकांक्षाओं की सुरक्षा के लिए एक ठोस आधारशिला भी रखेंगे। यह दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों के लिए निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देते हुए शैक्षिक प्रणाली में विश्वास को मजबूत करने का वादा करता है।
भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं का भविष्य; निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में तैयार की गई अभिनव रणनीतियों पर टिका है। जैसे-जैसे डिजिटल तकनीकें शिक्षा को आकार दे रही हैं, मजबूत डिजिटल सुरक्षा उपायों को अपनाना एक महत्वपूर्ण अनिवार्यता हो गयी है। ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए अत्याधुनिक एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल और कठोर प्रमाणीकरण व्यवस्था का कार्यान्वयन साइबर खतरों और अनधिकृत पहुंच के खिलाफ एक मजबूत बचाव होगा। यह सक्रिय दृष्टिकोण न केवल मूल्यांकन की निष्पक्षता की रक्षा करता है, बल्कि हितधारकों के बीच विश्वास भी विकसित करता है। डेटा विश्लेषण और पूर्वानुमान आधारित मॉडलिंग में प्रगति को अपनाने से परीक्षा लॉजिस्टिक्स एवं संसाधन आवंटन को और अधिक अनुकूल बनाया जा सकता है। इनके जरिये प्रशासनिक व्यवस्था को निर्बाध बनाया जा सकेगा और परिचालन चुनौतियों को कम किया जा सकेगा।
तकनीकी प्रगति और शैक्षिक प्राथमिकताओं के समन्वय के साथ, भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं का परिदृश्य, सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं और बेहतर विश्वसनीयता पर आधारित होगा। इन दूरदर्शी रणनीतियों का पालन करके, शैक्षिक परिदृश्य निष्पक्षता, पारदर्शिता और उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रख सकता है, जिससे अंततः छात्रों की आकांक्षाओं और देश की शैक्षिक प्रणाली की निष्ठा को लाभ होगा।
लेखक -प्रो. हिमांशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर