भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव
*संजीव चोपड़ा* द्वारा लिखा गया लेख
चमन प्रकाश, एक उचित दर दुकान (एफपीएस) डीलर हैं जो उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के प्रताप विहार ब्लॉक में पिछले 11 वर्षों से खाद्यान्न वितरित कर रहे हैं। इस क्षेत्र में एक मात्र एफपीएस डीलर होने के कारण वे 1,500 से अधिक परिवारों को सेवा प्रदान करते हैं। समुदाय में एक विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में उनकी प्रतिष्ठा विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के दौरान और भी महत्वपूर्ण हो गई, जब लाभार्थी अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से जुड़ी पात्रताओं पर बहुत अधिक निर्भर थे। प्रकाश, देश भर के उन 5.3 लाख डीलरों में से एक हैं, जो अंतिम छोर तक खाद्यान्न वितरण एजेंट के रूप में कार्य करते हैं और पीडीएस के माध्यम से 80 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इन एफपीएस को राज्य सरकारों द्वारा लाइसेंस दिया जाता है और इनका प्रबंधन भी किया जाता है तथा डीलरों को अपनी दुकानों पर प्रति क्विंटल लेन-देन के आधार पर डीलर मार्जिन के माध्यम से मुआवजा मिलता है। तथापि, एफपीएस के माध्यम से खाद्यान्न वितरण प्रत्येक माह 7-10 दिनों की अवधि में केंद्रित होता है। माह के शेष दिनों में, ये दुकानें कम उपयोग में रहती हैं, जिससे डीलरों को कोई अतिरिक्त आय का अवसर नहीं मिलता है। एफपीएस में भौतिक और मानव संसाधनों का इस प्रकार से उपेष्टतम उपयोग से, आवश्यक अंतिम छोर तक वितरण नेटवर्क की आर्थिक व्यवहार्यता और स्थिरता को खतरा पहुंचता है।
पिछले एक दशक में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने एफपीएस को आधुनिक बनाने के लिए विभिन्न क्रियाकलाप लागू किए हैं। सभी एफपीएस में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ई-पॉस) डिवाइस लगाए गए हैं, और लगभग 100% लेन-देन अब आधार द्वारा बायोमेट्रिक रूप से प्रमाणित होते हैं। खाद्यान्नों का सही वजन सुनिश्चित करने के लिए ई-पीओएस उपकरणों को इलेक्ट्रॉनिक तराजू से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है, जिसे 2024 के अंत तक पूरा किया जाना है। राज्यों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मॉडल एफपीएस विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिसमें लाभार्थियों के लिए प्रतीक्षा क्षेत्र, बैठने की व्यवस्था और पीने के पानी जैसी सुविधाएं हों। राज्य सरकारों को एफपीएस डीलरों के लिए अतिरिक्त आय के स्रोत सृजित करने हेतु कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सेवाओं और बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) सेवाओं जैसी अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए सशक्त बनाया गया है। जनवरी, 2024 में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) में एफपीएस को ऑनबोर्ड करने के लिए एक प्रायोगिक (पायलट) कार्यक्रम शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य एफपीएस के ग्राहक आधार को विस्तार देना और उसकी व्यवहार्यता को बढ़ाना है। यद्यपि, एफपीएस की आर्थिक स्थिरता डीलरों और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
एक अन्य गंभीर चुनौती लाभार्थियों की पोषण सुरक्षा रही है। वर्तमान में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग केवल पीडीएस के माध्यम से ऊर्जा देने वाले (एनर्जी रिच) अनाज (चावल और गेहूं) प्रदान करता है, जबकि आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पोषण संबंधी कमियों का सामना कर रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़े उच्च एनीमिया दरों को दर्शाते हैं: 6 से 59 महीने की आयु के बच्चों में 67.1%, 15 से 49 वर्ष की आयु की महिलाओं में 57% और 15 से 49 वर्ष की आयु के पुरुषों में 25%। इसके अतिरिक्त, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग, वेस्टिंग और कम वजन के मुद्दे बने हुए हैं। अतः, एफपीएस डीलरों के लिए आय के अवसरों को बढ़ाने के साथ-साथ आहार विविधीकरण के माध्यम से जनसंख्या के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार लाने जैसे दोहरे दृष्टिकोण (डुअल अप्रोच) की आवश्यकता है।
इन दो चुनौतियों पर काबू पाने के लिए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने 60 एफपीएस- गाजियाबाद, जयपुर, अहमदाबाद और हैदराबाद प्रत्येक में 15 एफपीएस को‘जनपोषण केंद्र’(जेपीके) में परिवर्तित करने के लिए एक प्रायोगिक (पायलट) कार्यक्रम शुरू किया है। ये केंद्र, अन्य मदों के अलावा, खुले बाजार की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पोषक तत्वों से भरपूर वस्तुओं जैसे मिलेट्स (श्री अन्न), दालें, खाद्य तेल और सोयाबीन की एक विविध रेंज पेश करेंगे। जेपीके का उद्देश्य लाभार्थियों और स्थानीय आबादी के बीच पोषण संबंधी अंतर को दूर करते हुए डीलरों के लिए अतिरिक्त राजस्व स्रोत और बेहतर मार्जिन प्रदान करना है।
एफपीएस का जेपीके में बदलाव चार प्रमुख स्तंभों पर निर्भर करता है: i) एफपीएस डीलरों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, ii) चालान वित्तपोषण (इन्वॉइस फाइनैन्सिंग) के माध्यम से एफपीएस डीलरों के लिए कार्यशील पूंजी तक पहुंच, iii) बी2बी एग्रीगेटर्स के माध्यम से बाजार संपर्क, और iv) पोषण संबंधी साक्षरता को बढ़ावा देना।
एफपीएस डीलरों की क्षमता बढ़ाने के लिए, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निसबड) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कौशल विकास मंत्रालय के तहत काम करता है। इस साझेदारी का उद्देश्य वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, पोषण संबंधी साक्षरता और व्यवसाय प्रबंधन पर केंद्रित कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करना है। प्रायोगिक (पायलट) कार्यक्रम में भाग लेने वाले एफपीएस डीलरों के लिए प्रशिक्षण सत्र मई और जून 2024 के दौरान दो बैचों में आयोजित किए गए थे।
इसके अतिरिक्त, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने ‘एफपीएस-सहाय’, एक मोबाइल एप्लिकेशन जो एफपीएस डीलरों को गैर-पीडीएस वस्तुओं की खरीद के लिए इन्वॉइस फाइनैन्सिंग की अनुमति देता है, को बनाने के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के साथ एक और अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। प्रमुख बी2बी एग्रीगेटर्स को इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया है ताकि एफपीएस डीलरों के लिए आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चैन) लिंकेज स्थापित करने में सहायता की जा सके। इसके अलावा, एफपीएस डीलरों को पोषण मित्र के रूप में सेवा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो लाभार्थियों को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन और संतुलित भोजन बनाने के लाभों पर बुनियादी मार्गदर्शन प्रदान कर रहें हैं। इन चार स्तंभों के माध्यम से, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग एक स्थायी मॉडल के लिए आधार तैयार कर रहा है जो डीलरों और उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले समुदायों दोनों को लाभान्वित करता है।
इस पहल के साथ, चमन प्रकाश का पेशेवर जीवन परिवर्तन के लिए तैयार है, जिससे उन्हें अपनी पेशकशों में विविधता लाने, अपनी आय बढ़ाने और समुदाय के पोषण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सहायता मिलेगी। यह विकास न केवल उनकी आजीविका को बढ़ाएगा बल्कि पूरे भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने में एफपीएस की महत्वपूर्ण भूमिका को भी सुदृढ़ करेगा।