Dehradun (PIB)-कुमाऊं विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ निर्मला ढेला ने कहा कि हिंदी को लेकर राजभाषा या राष्ट्रभाषा वाली बहस अब गैरजरूरी हो चुकी है. अब हिंदी को लेकर विवाद की आवश्यकता ही नहीं है. हम सबका कर्तव्य है कि हम अपने स्तर पर हर वो कोशिश करें जिससे हिंदी संवाद का माध्यम बने.
उन्होंने ये बात केंद्रीय संचार ब्यूरो, नैनीताल की तरफ से राजभाषा हीरक जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही. कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए उन्होंने केंद्रीय संचार ब्यूरो के सभी कर्मचारियों को राजभाषा के इतिहास और इससे जुड़े नियमों और प्रावधानों के बारे में विस्तार से समझाया.
कार्यक्रम की संयोजक डॉ दीपा जोशी ने बताया कि सरकारी कामकाज में हिंदी का शत-प्रतिशत इस्तेमाल हो और सभी सरकारी कर्मचारी हिंदी के महत्त्व को समझ सकें इसीलिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नीरज कुमार भट्ट ने बताया कि इस दौरान आयोजित हिंदी प्रतियोगिता के लिए डॉ दीपा जोशी को प्रथम, शोभा चारक को द्वितीय, आनंद बिष्ट और श्रद्धा गुरुरानी तिवारी को संयुक्त तौर पर तृतीय पुरस्कार मिला. पुष्पा देवी और दीवान सिंह को प्रोत्साहन पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम का समापन विभाग के अपने हिंदी गीत “जिसने जन जन के जीवन का रूप तराशा है, मेरी भाषा हिंदी भाषा सबकी भाषा है.“ के साथ किया गया.
प्रतियोगिता में हिस्सा लेने और कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग के लिये सीबीसी के राजेश नारायण सोनकर ने सभी को धन्यवाद दिया.
हिंदी को राजभाषा बनाने के संविधान सभा के फैसले के 75 साल पूरे होने पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं.