देहरादून-कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आज अपने कैंप कार्यालय में कृषि एवं उद्यान विभाग की उपलब्धियों के संबंध में प्रेस वार्ता की। इस दौरान कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने और उनकी आजीविका संवर्धन के लिए राज्य सरकार लगातार कार्य कर रही है। आजीविका बढ़ाने के लिए हरिद्वार तथा उधमसिंह नगर में अमृत सरोवर योजना के तहत बन रहे सरोवरों में मखाना की खेती को तथा सिंघाड़ा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आगामी बजट में व्यवस्था की गई और राज्य में फ्लोरीकल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की कृषि जलवायु एवं भौगोलिक परिस्थितियों विभिन्न औद्यानिक फसलों (फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, मशरूम तथा मौनपालन) के उत्पादन के लिए अत्यधिक अनुकूल है। विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत इन फसलों के विकास के लिए व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि सेब की अति सघन खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सैक्टर के अन्तर्गत 08 वर्षों में रुपये 808.79 करोड़ की लागत से 5000 हैक्टेयर क्षेत्रफल आच्छादित करते हुए सेब के वर्तमान व्यवसाय रुपये 200 करोड़ को बढ़ाकर रूपये 2000 करोड़ किये जाने के लक्ष्य से योजना स्वीकृत करायी गयी, जिसमें कृषको को 60 प्रतिशत राजसहायता प्रदान की जा रही है तथा इस योजना के अर्न्तगत लगभग 45,000 से 50,000 रोजगार सृजन होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष हमने े 2 लाख सेब के पौधे लगाए थे जबकि इस वर्ष 12 लाख के करीब पौधे लगाए है। उन्होंने बताया कि किसानों को पहले 60ः40 की जगह अब कैबिनेट में मंजूरी के बाद 90ः10 सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में 50 हजार से अधिक पॉलीहाउस हम लगाने जा रहे हैं, जिसके लिए 300 करोड़ की व्यवस्था की गई है। राज्य में उच्च मूल्य वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत रूपये 16.56 करोड़ की कीवी योजना स्वीकृत करायी गयी, जिसके सापेक्ष 10 करोड़ अवमुक्त कर क्रियान्वयन किया जा रहा है। साथ ही सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त पर्वतीय जनपदों में कीवी उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कीवी मिशन योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में केसर की खेती को बढावा देने के लिए सेलाकुई के समीप एक कृषक द्वारा नियन्त्रित वातावरण में प्रथमवार केसर का उत्पादन प्रारम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि मौनपालन के माध्यम से पर-परागण को बढ़ावा देने के लिए मौनपालन के माध्यम से औद्यानिक फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए मौनपालकों को पूर्व में देय अनुदान 350 प्रति मौनबॉक्स को बढ़ाकर 750 प्रति मौनबॉक्स किये जाने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखण्ड राज्य में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सेब पैकिंग के लिए युनिवर्सल कॉर्टन पर कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान दिये जाने का निर्णय लिया गया है।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि राजकीय उद्यान, चौबटिया में केन्द्रपोषित बागवानी मिशन योजना के तहत 671 लाख की लागत से सेब, अखरोट, खुबानी और प्लम जैसी फसलों पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्वीकृति मिली है। यह केंद्र उन्नत पौध उत्पादन, नवीनतम तकनीकी प्रशिक्षण और गुणवत्ता परीक्षण में सहायता करेगा, जिससे राज्य के बागवानों को बड़ा लाभ मिलेगा। मिलेट्स फसलों के उत्पादन बढ़ाने और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में स्टेट मिलेट मिशन का संचालन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में जैविक खेती को बढावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम खेती और बागवानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
कृषि मंत्री ने बताया कि रुद्रप्रयाग जनपद में उद्यान विभाग द्वारा वर्ष 2020 में काश्तकारों को वितरित किए गए कागजी नींबू के पौधों में जंगली जामीर फल आने के मामले में जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के बाद मैसर्स संजीवनी पौधशाला तथा तत्समय में नर्सरी के चयन के दौरान तथा पौधों के सत्यापन में हुई लापरवाही के लिए जांच रिपोर्ट के आधार पर अपर निदेशक डा0 आर0के0 सिंह एवं तत्समय के जिला उद्यान अधिकारी (सेवानिवृत) योगेन्द्र सिंह चौधरी, दोनों अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है और इसके तहत आरोप पत्र जारी कर दिए गए हैं। साथ ही, संबंधित नर्सरी के खिलाफ नर्सरी एक्ट और अन्य प्रचलित नियमों के तहत कार्रवाई करने तथा कालीसूची में डालने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पौधा किसानों की आत्मा है और इस प्रकार की लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो भी शिकायतें आजतक मिली है उन पर सरकार द्वारा कार्यवाही की गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि पौधा किसानों की आत्मा है, यह स्पष्ट करता है कि सरकार किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इससे अन्य नर्सरियों और अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिए गई है ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो।
इस अवसर पर कृषि सचिव डा0 एसएन पांडे, कृषि महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान, कैप निदेशक डा0 नृपेन्द्र चौहान, संयुक्त निदेशक दिनेश कुमार, संयुक्त निदेशक डा0 रतन कुमार, बागवानी निदेशक महेंद्र पाल सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।