नयी दिल्ली (भाषा)-आठ कड़ियों में प्रसारित हुए ‘परीक्षा पे चर्चा (पीसीसी)’ के नवीनतम संस्करण ने डिजिटल माध्यम पर बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है, जो 2018 से शुरू हुए इस कार्यक्रम की यात्रा में मील का एक पत्थर है।
इन कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि ‘परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी)’ के आठवें वार्षिक संस्करण की विषय-वस्तु को अकेले इंस्टाग्राम पर 30 करोड़ से अधिक बार देखा गया और 1.5 करोड़ लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी, जबकि ‘एक्स’ पर तीन लाख से अधिक पोस्ट किए गए।
आज इस कार्यक्रम की अंतिम कड़ी प्रसारित की गयी।
सूत्रों ने बताया कि इस वार्षिक कार्यक्रम का एक बड़े टाउनहॉल से बदलकर बहुत कम छात्रों के साथ एक अधिक स्पष्ट और संवादात्मक माहौल में तब्दील हो जाने से काफी उत्सुकता रही। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन ‘एक बदलावकारी सफलता’ है।
इस वर्ष परीक्षा पे चर्चा 10 फरवरी को शुरू हुई थी, जब मोदी ने सुंदर नर्सरी में देश भर से आए 35 विद्यार्थियों के साथ परीक्षा के विभिन्न पहलुओं जैसे तैयारी, दबाव से निपटने और यहां तक कि नेतृत्व के विषयों पर बातचीत की थी।
इसके बाद सात कड़ियां प्रसारित हुईं जिनमें अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जैसी हस्तियों ने विद्यार्थियों से विभिन्न मुद्दों पर बात की।
अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री के एपिसोड ने देश भर के विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि इसका स्पष्ट और संवादात्मक तरीका सही भावना को छू गया।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की खुली और व्यावहारिक चर्चा पर मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया और हार्दिक सराहना इस बात की पुष्टि करती है कि कैसे ‘परीक्षा पे चर्चा’ एक बार के आयोजन से बढ़कर एक सच्ची संस्था का रूप ले चुकी है – एक ऐसी पहल जिसका विद्यार्थी और अभिभावक हर वर्ष व्यग्रता से परीक्षा करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की बातचीत और हस्तियों के साथ चर्चाओं वाले वीडियो को विद्यार्थियों ने बहुत सराहा है, जिससे कार्यक्रम की पहुंच और प्रभाव बढ़ गया।
उन्होंने कहा कि 2018 में एक साधारण पहल से, ‘परीक्षा पे चर्चा’ अब राष्ट्रव्यापी अपील के साथ वास्तव में प्रभावशाली अभ्यास में बदल गयी है, जिसका युवा दिमाग वर्ष दर वर्ष प्रतीक्षा करते हैं।