By: डॉ मनसुख मांडविया, केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री
पंजाब के हरे-भरे खेतों की हरियाली से गुजरते हुए, मेरा ध्यान कहीं दूर गूंजती एक आवाज ने आकर्षित किया। स्वाभाविक मानवीय जिज्ञासा हुई कि इस आवाज का स्रोत क्या है। उतरते ही मेरा स्वागत दो किसानों ने किया। वे ड्रोन के जरिए नैनो यूरिया का छिड़काव कर रहे थे। देश के एक ग्रामीण क्षेत्र में किसानों द्वारा एक नई तकनीक को इतने उत्साहपूर्वक स्वीकार किए जाने को देखकर मुझे सुखद अनुभूति हुई। मुझे लगा कि यह भारत के कृषि क्षेत्र के लिए वह ‘ड्रोन क्षण’ था, जिसने हमारे देश में ‘ड्रोन आंदोलन’ की शुरुआत की। किसानों ने मुझे बताया कि उन्हें कृषि-ड्रोन के बारे में जानकारी उनके गांव में ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के दौरान मिली और यह नई तकनीक उनके खेतों में सबसे कुशल तरीके से तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए बेहद उपयोगी है।
भारतीय कृषि ने पहले ही पारंपरिक रूप से बैलगाड़ी आधारित होने से ट्रैक्टर आधारित होने तक का सफर तय किया है। मैं अब कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग को कृषि क्रांति की तीसरी लहर के रूप में देख रहा हूं। कृषि-ड्रोन तकनीक हमारी कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाने और बदलने में एक वास्तविक सफलता साबित हो रही है। हैंड पंपों के माध्यम से कीटनाशकों और तरल उर्वरकों के थकाऊ और समय लेने वाले हाथ से छिड़काव के दिन चले गए। अब इसकी जगह ड्रोन के माध्यम से छिड़काव की अधिक कुशल और उत्पादक तकनीक ले रही है। कृषि क्षेत्र की दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए कृषि पद्धतियों का आधुनिकीकरण आवश्यक और अपरिहार्य है ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, जो कि विकसित और आत्मनिर्भर भारत का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
1960 के दशक की हरित क्रांति में नए कृषि उपकरण, एचवाईवी (उच्च उत्पादकता किस्में) बीज, कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की शुरुआत देखी गई। पिछले कुछ वर्षों में हमारे पर्यावरण, मिट्टी के स्वास्थ्य और मिट्टी की उर्वरता की दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखने के लिए, उर्वरकों के अधिक संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता महसूस की गई। खुद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसका आह्वान 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से किया। इससे प्रेरित होकर सरकार ने जैव, नैनो और जैविक उर्वरक जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम और गोबरधन जैसी कई पहल शुरू की हैं। इन नई पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और किसानों को एक ही छत के नीचे एकीकृत समाधान प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) की स्थापना की गई है।
स्वदेशी रूप से विकसित नैनो उर्वरक बेहतर हैं क्योंकि वे पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों का पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी विकल्प प्रदान करते हैं। अब पारंपरिक यूरिया की 45 किलोग्राम की बोरी की जगह नैनो यूरिया की आधा लीटर की बोतल ने ले ली है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और फसल की उपज में सुधार करने में सहायता मिल रही है। साथ ही बेहतर पोषक तत्व उपयोग दक्षता और आसान प्रबंधन जैसे कई फायदे भी हैं। इसकी व्यापक स्वीकार्यता सुनिश्चित करने में अगली चुनौती कुशल अनुप्रयोग प्रणाली की एक विधि विकसित करना, आसानी से अपनाने के लिए एक इको-सिस्टम का निर्माण करना और कृषक समुदाय को लाभों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना था।भारत के युवा और गतिशील स्टार्टअप्स द्वारा किसान ड्रोन का विकास तरल उर्वरकों के इस्तेमाल के लिए एक प्रभावी और कुशल तकनीक प्रदान करता है। मिनटों में एक एकड़ कृषि भूमि पर छिड़काव करने की क्षमता अपने खेतों में घंटों मेहनत करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हुई। अपने पास अधिक खाली समय होने से, किसान अपनी कमाई बढ़ाने और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए अधिक उत्पादक कार्यों में लग सकते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का लक्ष्य महिलाओं को सशक्त बनाना और देश के विकास में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना है। उन्होंने 30 नवंबर को विकसित भारत संकल्प यात्रा में लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान नमो ड्रोन दीदी का प्रारंभ स्वयं किया। इसका उद्देश्य आसान वित्तीय समाधान प्रदान करके कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को किराये पर ड्रोन उपलब्ध कराना है। इसके लिए नमो ड्रोन दीदी के तहत 15,000 चुनिंदा महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को ड्रोन प्रदान किया जा रहा है। यह अनूठी पहल न केवल किसानों को तरल उर्वरक और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन आसानी से उपलब्ध कराएगी, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण समृद्धि में भी योगदान देगी। यह भारत के ड्रोन वैमानिकी को बढ़ावा देगा और ड्रोन निर्माण स्टार्टअप को विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में मदद करेगा। यह देश के दूरदराज के इलाकों में ड्रोन पायलटों और ड्रोन मैकेनिकों के लिए रोजगार उद्यम बनाकर महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा और साथ ही ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।
प्रभावी संवाद किसी भी नई पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। 15 नवंबर, 2023 से शुरू हुई देशव्यापी विकसित भारत संकल्प यात्रा में ड्रोन एक प्रमुख आकर्षण बन गए हैं। यात्रा के दौरान सभी राज्यों में 50,000 से अधिक ड्रोन प्रदर्शन हुए हैं। इन प्रदर्शनों ने किसानों के भीतर अपनी खेती में इस नई उच्च स्तर तकनीक को अपनाने के लिए रुचि जगाई है।