राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) एक महत्वपूर्ण पहल रही है, जिसका उद्देश्य व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच हासिल करना है। एनएचएम; स्वास्थ्य सेवा की अवसंरचना को मजबूत करने, मानव संसाधनों को बढ़ाने और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की कमी झेल रहे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है। ये प्रयास, सामूहिक रूप से जन स्वास्थ्य में सुधार और प्रत्येक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा सुलभ बनाने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाते हैं।
विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत ने जनसंख्या स्थिरीकरण, मातृ, शिशु व बाल स्वास्थ्य और संचारी रोगों से संबंधित प्रमुख संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार किया है। भारत में ऐसे संकेतकों में गिरावट की औसत दर वैश्विक औसत से अधिक रही है, विशेष रूप से मातृ, शिशु और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के मामले में। हालांकि, देश की स्वास्थ्य प्रणाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करती रही है, जैसे बढ़ती आबादी और नई बीमारियां, दी गई नैदानिक स्थितियों के लिए देखभाल की परिवर्तनशीलता और उपयुक्तता तथा सेवाओं की गुणवत्ता आदि।
स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करना और देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाना
योजनाबद्ध कार्यक्रमों के बावजूद, जन स्वास्थ्य सुविधाओं के कम उपयोग, अनुचित और/या असुरक्षित उपचार, गलत निदान और अपमानजनक तरीके से सेवा देने आदि से संबंधित चुनौतियों के लिए खराब अवसंरचना, स्वास्थ्य कर्मियों के रूप में मानव संसाधनों (एचआरएच) की कमी और देखभाल की कम गुणवत्ता जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। ये चुनौतियां; अप्रत्याशित, असामयिक मौतें, जिन्हें रोका जा सकता था, खराब स्वास्थ्य, व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ और जन स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास में कमी से सीधे जुड़ी हुई हैं।
इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने समय पर उपाय करने और चुनौतियों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई।
इस दिशा में विभिन्न उपायों में से एक है – संशोधित भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस), 2022 के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में देखभाल के सभी स्तरों पर सुविधाओं से जुड़े मानकों का उन्नयन करना है, जो सभी जन स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के घटकों को बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों का एक महत्वपूर्ण पहलू है- आवश्यक (न्यूनतम) और हासिल करने योग्य (अपेक्षित) सेवाओं पर विशेष जोर। स्वास्थ्य सेवा की प्रत्येक सुविधा को न्यूनतम सेवाओं का एक सेट प्रदान करना आवश्यक है, ताकि भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जा सके। दिशा-निर्देश अवसंरचना, उपकरण, दवाओं, निदान, मानव संसाधन आदि के लिए मानक निर्दिष्ट करते हैं तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को योजना बनाने और सुसंगत एवं विश्वसनीय देखभाल सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं।
आईपीएचएस के प्रमुख लक्ष्य बहुआयामी हैं और स्वास्थ्य सेवा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप हैं। आईपीएचएस समय पर देखभाल के दृष्टिकोण के साथ स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों की स्थापना के लिए जनसंख्या मानदंडों को फिर से डिजाइन करके बेहतर पहुंच पर ध्यान केंद्रित करता है। यह रोगी को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सुविधा केन्द्रों में भेजने के लिए एक निर्बाध प्रणाली स्थापित करने के लिए इनपुट भी प्रदान करता है। इसके अलावा, आईपीएचएस; स्वास्थ्य सेवाएं रोगी के अनुकूल होनी चाहिए और सम्मानजनक तरीके से प्रदान की जानी चाहिए तथा सभी पर वित्तीय बोझ कम पड़ना चाहिए आदि को सुनिश्चित करने की दिशा में भी इनपुट प्रदान करता है।
आईपीएचएस द्वारा जन स्वास्थ्य सुविधाओं में देखभाल के प्रत्येक स्तर के लिए विनिर्देशों का एक सेट प्रदान करने के साथ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अनुचित और असुरक्षित उपचार, छूटे हुए निदान आदि को रोकने तथा जन स्वास्थ्य संस्थानों में सम्मानजनक देखभाल प्रदान करने के लिए देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता को प्राथमिकता देता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम, राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन और कार्यान्वित किया गया है कि जन स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सेवाएं न केवल सुरक्षित और रोगी-केंद्रित हों, बल्कि गुणवत्ता का भरोसेमंद स्तर भी हो। यह पहल, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता को समझने, मापने और सुधारने से जुड़ी कमियों को दूर करने पर केंद्रित है।
जन स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा का प्रावधान एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो रोगी के परिणामों, सुरक्षा और समग्र रोगी संतुष्टि को प्रभावित करता है। यह समुदाय के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी सहायता करता है, रोगी के अनुभवों को बढ़ाता है और देखभाल की लागत को कम करके सेवा प्रदाता के अनुभव में वृद्धि करता है।
जन स्वास्थ्य सुविधाओं में मानकीकृत सेवाओं की उपलब्धता का आश्वासन होने से जन स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता है, जो आगंतुकों की बढ़ी हुई संख्या और सभी हितधारकों के साथ बेहतर संबंधों से पता चलता है। एनक्यूएएस कार्यान्वयन ने स्वास्थ्य सुविधाओं की विनियामक आवश्यकताओं और अग्नि सुरक्षा आदि से जुड़ी तैयारियों के अनुपालन को भी सुनिश्चित किया है।

स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने से असमानताओं का भी समाधान हुआ है और यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी रोगियों को, उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियों की परवाह किए बिना, समान देखभाल मिले। यह स्वास्थ्य समानता और सामाजिक न्याय हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है और सभी के लिए जीवन को आसान बनाने के सरकार के सिद्धांत के अनुरूप है।
हाल की महामारी से सीख लेते हुए और भविष्य की किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की तैयारी करने के क्रम में, भारतीय जन स्वास्थ्य प्रणालियों की अवसंरचना को बड़े पैमाने पर समर्थन देने के लिए अखिल भारतीय मिशन, यानी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) की शुरुआत हुई। अवसंरचना और निगरानी गतिविधियों पर मुख्य ध्यान दिया गया। लागत प्रभावी प्रयोगशाला प्रणालियों के माध्यम से सेवाओं की पहुंच, दक्षता, प्रभावशीलता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पीएम-एबीएचआईएम के तहत एकीकृत जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला (आईपीएचएल) को एक प्रमुख घटक के रूप में डिजाइन किया गया। ये प्रयोगशालाएं न केवल तेज़, विश्वसनीय और सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करेंगी, बल्कि प्रभावी नैदानिक और निगरानी सेवाओं के लिए जिला व उप-जिला स्तर पर संपर्क भी स्थापित करेंगी, इस प्रकार एक सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण की दिशा में भारत के कदम को आगे बढ़ाएंगी।
देश में विशाल भौगोलिक एवं जनसांख्यिकीय विविधता और अलग-अलग क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों के साथ, भारत सरकार ने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने का प्रयास जारी रखा है, जो सुरक्षित, प्रभावी, रोगी केंद्रित, समय पर उपलब्ध, कुशल और न्यायसंगत हैं।
संक्षेप में, आईपीएचएस दिशानिर्देश परिवर्तन के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करते हैं, जो भविष्य के मार्ग को रोशन करते हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं प्रत्येक स्तर पर सेवा सुविधा देने के लिए आवश्यक विशिष्टताओं के एक निर्धारित सेट के साथ कार्य कर रहीं हैं। समान मानक निर्धारित करके और उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करके, आईपीएचएस का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ, किफायती और सम्मानजनक बनाना है, विशेष रूप से कमजोर और वंचित समुदायों के लिए।
समानांतर रूप से, जन स्वास्थ्य सुविधाओं में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मिली है, जो सुरक्षित, प्रभावी और रोगी-केंद्रित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होगा, रोगी का अनुभव बेहतर होगा और अधिक कुशल जन स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की सुविधा प्राप्त होगी।
ये परिवर्तनकारी पहल स्वास्थ्य परिणामों में सुधार, रोकथाम योग्य बीमारियों के बोझ को कम करने और सरकार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर नए सिरे से विश्वास और निर्भरता को बढ़ावा देने का भरोसा देती हैं।
(डॉ. जे एन श्रीवास्तव सलाहकार हैं और डॉ. अभय दहिया गुणवत्ता और रोगी सुरक्षा प्रभाग के विशेषज्ञ हैं; डॉ. के मदन गोपाल सलाहकार हैं तथा डॉ. स्वर्णिका और डॉ. अर्पिता वरिष्ठ विशेषज्ञ जन स्वास्थ्य प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के रूप में काम करती हैं)
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लेखक– डॉ. जे. एन. श्रीवास्तव1,    डॉ. के. मदन गोपाल 2,     डॉ. स्वर्णिका पाल 3,      डॉ. अभय दहिया 4
1. सलाहकार, क्यूपीएस डिवीजन, एनएचएसआरसी
2. सलाहकार, पीएचए डिवीजन, एनएचएसआरसी
3. वरिष्ठ सलाहकार, पीएचए डिवीजन, एनएचएसआरसी
4. सलाहकार, क्यूपीएस डिवीजन, एनएचएसआरसी